आखिर क्यों अलग हुई HERO और HONDA

user 10-Mar-2023 Business

आखिर क्यों अलग हुई HERO और HONDA ?

 

Hero Honda  सायद ही  कोई  भारतीय होगा जिसने ये नाम नहीं सुना होगा

 

Hero Honda 90s के समय से लेकर आज तक यह नाम हर किसी जुंबा पर छाया रहता है क्योंकि Hero और Honda के कॉलेब्रेशन से बनी यह कंपनी दुनिया मे सबसे अच्छी टू व्हीलर व्हीकल बनाती थी । लेकिन कंपनी के प्रॉफिटेबल होने के बाद भी यह अलग क्यों हुई और कैसे हौंडा ने भारत की कंपनी हीरो को धोखा दिया ।

 

एक्चुअली हीरो एक साईकल बनाने वाली कंपनी थी जिसकी नींव ब्रजमोहन लाल मुंजलाल ने 1956 में रखी थी और 1975 तक हीरो भारत की सबसे बड़ी साईकल बनाने वाली कंपनी बन गई । इसके बाद उन्होंने अपनी साईकल को बड़े लेवल पर विदेशों में भी बेचना शुरू कर दिया और इस तरह वर्ष 1986 तक यह कंपनी सिर्फ इंडिया ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी साईकल बनाने वाली कंपनी में बेसुमार की जाने लगी, लेकिन उसी दौरान उन्होंने देखा विदेशी मार्किट में मोटरसाइकिल का बिज़निस भी काफी तेजी से बढ़ रहा है । लेकिन इंडिया में तो लोगों के पास सिर्फ स्कूटर और बिक्की का ही ऑप्शन था, इसलिए इस गैप को फिल करने के लिए इंडियन मार्किट में मोटरसाइकिल उतारना चाहते थे, लेकिन उस समय हीरो के साथ एक परेशानी ये थी कि उनके पास इंजन बनाने की टेकनोलॉजी नहीं थी जिसके कारण उनके लिए मोटरसाइकिल बनाना मुमकिन नहीं था ।

 

Hero ने अपने इस प्लान को सच में बदलने के लिए किसी विदेशी कंपनी के साथ कॉलेब्रेशन करने के बारे में सोचा, अब उस समय भारत में लिब्रलाइजेशन भले ही नहीं आया था,लेकिन उस समय गवर्नमेंट इंडियन कंपनीज़ को ये मौका देती थी अगर वो चाहे किसी भी विदेशी कंपनी के साथ टाई अप करके इंडिया में अपना बिज़निस एक्सपैंड कर सकते हैं । इसलिए ब्रजमोहन लाल ने हीरो के थ्रू दुनिया की सबसे पहली बड़ी मोटरसाइकिल बनाने वाली जापानी कंपनी हौंडा के पास में अपना प्रोपोज़ल भेजा ।

और उस समय कोई भी विदेशी कंपनी भारत में डायरेक्ट अपना बिज़निस स्टार्ट नहीं कर सकती थी । ऐसे में इस प्रोपोज़ल के जरिए हौंडा को इंडियन मार्किट में प्रवेश करने का एक अच्छा मौका मिल गया था जिसे हौंडा खुद भी गवाना नहीं चाहती थी अब दोनों कंपनीज़ ने 1984 में एक दूसरे के साथ हाथ मिला लिया ।

हीरो और हौंडा के बीच एग्रीमेंट हुआ कि हीरो बाइक के लिए बॉडी बनाएगा तथा हौंडा इंजन सप्लाई करेगा इसके अलावा उन्होंने एक NOC भी साइन की थी जिसके अनुसार दोनों कंपनीज़ फ्यूचर में कभी भी एक दूसरे के सामने अपना प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगीं और दोनों ही कंपनीज़ इन कंडीशन्स से सैटिस्फाइड थी जिसके बाद से डील फाइनल हो गयी ।

सबकुछ अच्छा चल रहा था लेकिन अचानक जापानी करेंसी में उछाल आ गया जिसकी वजह से जितने भी स्पेयर पार्ट्स जापान से आते थे, वो काफी महेंगें होने लगे और हीरो होंडा को अपनी बाइक अफोर्डेबल बनाने में काफी दिक्कतें आने लगी । और एक दूसरी प्रॉब्लम ये भी थी कि हीरो होंडा के कई सारे कंपटीटर इंडियन मार्किट में आ चुके थे जैसे सुज़ुकी, यामाहा, बजाज व TVS लेकिन ये सारे ब्रांड्स शहरी इलाकों में रहने वाले वेल्थी कस्टमर्स पर ही फोकस करते थे लेकिन वहीं हीरो होंडा को देखा जाए तो उनका मैन फोकस हाई मिडिलक्लास तथा लोअर मिडिल क्लास कस्टमर पर था ।

जो एक अफोर्डेबल सॉल्यूशन चाहते थे और यही वजह थी कि हीरो होंडा की बाइक सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि पूरे भारत मे सबसे ज्यादा बिकती थी और ये सब देखते हुए कंपनी अपनी बाइक का प्राइस नहीं बढ़ाना चाहती थी, यहाँ तक कि इसी कारण कंपनी को लंबे समय तक लॉस का भी सामना करना पड़ा लेकिन 1990 में जब डॉलर का एक्सचेंज प्राइस रेगुलेट हुआ तो फिर हालत थोड़ी सुधरनी शुरू हुई और देखते ही देखते कुछ ही समय मे हीरो होंडा एक बार फिर से अपनी बाइक पर प्रॉफिट कमाने लगी अगले कुछ ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट दस मिलियन डॉलर को भी क्रॉस कर गया जोकि उस जमाने मे एक बहुत बड़ा नंबर था ।

अब यहाँ तक तो चीजें ऊपर ऊपर से काफी अच्छी नज़र आ रही थी लेकिन अंदर से सिचुएशन बहुत पहले से ही खराब होनी शुरू हो गई थी, दरअसल कंपनी के मैनेजमेंट में शुरू से ही कई तरह की प्रॉब्लम चल रही थी,जैसे कि हौंडा तो अपनी बाइक्स अमेरिका और रूस जैसे डेवेलोप कंट्री में सेल कर रही थी, लेकिन हीरो हौंडा को हौंडा की तरफ से फॉरेन में अपनी बाइक सेल करने की परमिशन नहीं दी यानी एक तरफ तो हीरो साईकल मनुफैक्चर के तौर पर उस समय दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी ।

यहाँ तक कि गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी इनका नाम दर्ज था वहीं दूसरी तरफ हौंडा की वजह से वो अपनी बाइक फॉरेन मार्किट में सेल नहीं कर पा रही थी । असल मे इंडिया के बाहर हीरो होंडा को सिर्फ नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे आस पास की कन्ट्रीज़ तक ही अपनी बाइक को एक्सपोर्ट करने की अनुमति थी ।

जिसकी वजह से हीरो कंपनी इंटरनेशनल मार्किट में जो पोजीशन चाहती थी वो उसे नहीं मिल पा रही थी,अब एक तरफ तो हौंडा काफी तेज़ी से ग्रो कर रहा था लेकिन वहीं दूसरी तरफ हीरो एक लिमिटेड स्पेस में सीमित होकर रह गया । जिसकी वजह से इन दोनों कंपनीज़ के आपसी रिश्ते भी खराब होने लगे इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार हीरो बाइक की बॉडी बनाती थी और हौंडा इंजन । अब अगर हीरो को अपना बिज़निस एक्सपैंड करने के लिए अलग भी होना पड़ता तो वे ऐसा नहीं करते क्योंकि वो इंजन के लिए अभी तक पूरी तरह से हौंडा पर डिपेंड थे ।

लेकिन उन्हें अच्छी तरह से ये भी समझ आ चुका था कि अगर उसे हौंडा से अलग होना है तो फिर इंजन मैन्युफ़ैक्चर करना ही पड़ेगा । हीरो ने, हीरो होंडा के हिस्से का जितना भी प्रॉफिट मिलता था वो उसके एक बड़े हिस्से को इंजन बनाने में खर्च करने लगे जिसकी वजह से हीरो और हौंडा के बीच मे दरार और भी ज्यादा बड़ी हो गयी

 

अब जैसा कि इन्होंने कॉलेब्रेशन के समय NOC साइन किया था कि ये एक दूसरे के मुकाबले में कभी भी बाइक्स नहीं लॉन्च करेंगें । लेकिन हौंडा ने इसके खिलाफ जाकर साल 1999 में इंडिया के अंदर अपनी एक सेपरेट कंपनी Honda Motercycle and scooter india Pvt Ltd. और फिर उसी प्राइस सेगमेंट में बाइक लॉन्च करना शुरू कर दिया जिसमें हीरोहौंडा की बाइक्स मौजूद थी ।

दिसंबर 2010 में, भारत के दोपहिया निर्माता हीरो ग्रुप और जापान की होंडा मोटर कंपनी ने 26 साल की सफल साझेदारी के बाद अपने अलग रास्ते तय किए। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर यह हुआ कैसे? इसके अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। हालांकि, यह बात सत्य है कि गठजोड़ के कुछ वर्षों बाद ही दोनों कंपनियों के बीच मतभेद की भी शुरुआत हो चुकी थी। इंडियन मार्केट में हीरो होंडा ने अपने कारोबार को जबरदस्त तरीके से बढ़ाया। यहां कारोबार शानदार चल भी रहा था। इसकी लोकप्रियता चरम पर थी। हालांकि, गड़बड़ तब हुई जब हीरो होंडा की बाइक्स को विदेशों में सेल करने की बात आई। दरअसल, हीरो भारत में निर्मित बाइक्स को विदेश में बेचना चाहता था। लेकिन होंडा इसके लिए तैयार नहीं था। इसका कारण यह था कि अमेरिका और रूस जैसे विकसित राष्ट्रों में होंडा की बाइक्स पहले से ही बिक रही थी। वहां उसकी मार्केट खराब ना हो इसलिए हीरो होंडा की बाइक को वहां बेचने से कंपनी कतरा रही थी।

हालांकि, कंपनी की ओर से हीरो होंडा बाइक्स को भारत के अलावा नेपाल भूटान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी राज्यों में बेचने की बात जरूर कही ग।ई लेकिन हीरो इंटरनेशनल मार्केट में अपनी खास पोजीशन चाहती थी। इसका कारण यह भी था कि साइकिल के मामले में हीरो के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज था। लेकिन होंडा की वजह से वह विदेशों में अपना व्यापार नहीं कर पा रही थी। यहीं से धीरे-धीरे दोनों कंपनी के रिश्ते खराब होते गए। हालांकि, तब दोनों कंपनी अलग नहीं हुए। इसका कारण यह था कि हीरो बाइक की सिर्फ बॉडी बनाती थी। अलग होने की स्थिति में उसे इंजन बनाना पड़ता जिसके लिए उसके पास अभी भी टेक्नॉलॉजी नहीं थी। वहीं, भारत में व्यापार करने के लिए होंडा को हीरो का साथ चाहिए था। इसलिए दोनों का साथ बना रहा।

 

 इस तरह अगर देखा जाए तो इंडियन मार्किट के अंदर हौंडा ने अपनी बाइक्स को हीरो होंडा के सामने लाकर खड़ा कर दिया । जिसकी वजह से हीरो होंडा के कस्टमर्स डिवाइड होने लगे और इसके कुछ सालों बाद हौंडा ने एक्टिवा को लॉन्च करके स्कूटर सेगमेंट में भी प्रवेश कर लिया । अब अगर देखा जाए तो इस पूरे मामले में हौंडा की पांचों उंगलियां घी में थी क्योंकि हौंडा को हीरो होंडा से तो प्रॉफिट हो ही रहा था और अपनी सेपरेट कंपनी से भी अच्छा प्रॉफिट जेनेरेट हो रहा था ।

 

लेकिन हीरो को यह समझ आने लगा था कि कहीं ना कहीं अगर उसे लंबी पारी खेलनी है तो इंजन मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करना होगा। ऐसे में उसने अब अपने प्रॉफिट के बहुत  एक बहुत बड़े हिस्से को इंजन बनाने पर खर्च करने की शुरुआत कर दी। हीरो का यह कदम होंडा को पसंद नहीं आया तथा दोनों कंपनी के बीच दरार और भी बढ़ गया।

इसी दौरान 2000 में होंडा द्वारा होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया के जरिए भारतीय बाजार में दोपहिया वाहन उतारा गया। हालांकि, एग्रीमेंट में इस बात का जिक्र था कि दोनों कंपनी एक दूसरे के सामने भारत में कोई भी बाइक लॉन्च नहीं करेगी। लेकिन होंडा ने उस एग्रीमेंट को नजरअंदाज किया। होंडा की ओर से उसी कीमत पर अलग बाइक निकाली गई। इसका असर यह हुआ कि दोपहिया वाहनों के कस्टमर बटते चले गए और हीरो ग्रुप को नुकसान भी होने लगा।

 

होंडा ने भारतीय बाजार में एक्टिवा स्कूटी लॉन्च करके पहले ही तहलका मचा दिया था। यहां होंडा को दो तरह फायदा हो रहा था। पहला था कि हीरो होंडा के प्रॉफिट में उसकी अपनी हिस्सेदारी तो मिल ही रही थी। इसके साथ ही अलग कंपनी के तौर पर भी भारतीय बाजार में अपने पैर जमा रही थी और फायदे कमा रही थी।

 हालांकि हीरो और होंडा के बीच कड़वाहट लगातार बढ़ते जा रहे थी। 2004 में दोनों कंपनी ने अपने एग्रीमेंट को 10 साल के लिए बढ़ाया। लेकिन 2010 में अचानक ही हीरो ने होंडा से अलग होने का ऐलान कर दिया। यह विभाजन 16 दिसंबर 2010 को हुआ जब पवन मुंजाल ने इस बात की घोषणा की कि हीरो होंडा मोटर की पूरी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। यह एक साहसिक निर्णय था।

और फिर 2010 में जाकर दोनों ही कंपनों अलग अलग हो गयी और हीरो होंडा कंपनी में दोनों ही कंपनीज़ के 26 – 26 % शेयर थे जिसमें से हौंडा ने अपने 26% शेयर हीरो को ही बेचने का फैसला किया और हीरो कंपनी के प्रमोटर ब्रजमोहन लाल ने 1.2 अरब डॉलर में ये शेयर खरीदकर अपनी नई कंपनी हीरो मोटोकॉर्प के नाम से शुरू की ।

 और जब हीरो ने अपनी अलग कंपनी शुरू की थी तो लोगों ने कहा था कि हीरो सर्वाइव नहीं करपायेगी हौंडा के बिना लेकिन आज के समय मे हीरो दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाईकल बनाने वाली कंपनी में सुमार किया जाता है ।

 

हालांकि, उस समय किसी ब्रैंड के बिना भारतीय बाजार में खुद को जीवित रखना हीरो के लिए बड़ा सवाल था। लेकिन हीरो के हौसले बड़े थे। 2014 तक हीरो होंडा बनाए रखने का समझौता हुआ था। लेकिन मुंजाल ने खुद का ब्रांड लॉन्च करने का निर्णय लिया। 9 अगस्त 2011 को हीरो मोटोकॉर्प के जन्म हुआ और ए आर रहमान ने एक नया गीत दिया- हम में है हीरो।

 

हीरो ने इसके बाद अपनी अलग बाइक मार्केट में उतारीं. और जो लोग हीरो की काबलियत पर शक कर रहे थे उनका मुंह हीरो ने खास अंदाज में बंद किया.

हीरो देश की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन कर सामने आई. आज हीरो की मोटरसाइकिल का प्रोडक्शन दुनिया भर में सबसे ज्यादा है. वहीं होंडा की मोटरसाइकिलें कुछ ज्यादा चमत्कार नहीं दिखा सकीं.

 

हालाकि यदि देखा जाए तो आज दोनों ही कंपनी भारतीय बाजार में जबरदस्त डिमांड में है। दोनों कंपनी को लोगों का प्यार मिल रहा है। सस्ता और बढ़िया माइलेज देने वाली बाइक दोनों ही कंपनी की ओस से निकाली जा रही है।

हालांकि, बिक्री के मामले में हीरो आज भी होंडा से आगे है। लेकिन स्कूटर सेगमेंट में होंडा की एक्टिवा अपने आप में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है।

 

Note:इसी प्रकार कि बिजनस सम्बन्धी और  जानकारी हेतु । आज ही लॉग ऑन करे बिजनेस खबरी डॉट कॉम पर और याद रखे बिजनेस खबरी डॉट कॉम एक लोकल बिजनेस सर्च इंजन है जो हमारे व्यापारी भाईयो की मदद हेतु। मेक इन इंडिया कि तर्ज पर बनाया गया है जिसके माध्यम से हमारे व्यापारी भाई अपने व्यापार को ऑनलाइन ला सकते है साथ ही समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकते है वो भी बिल्कुल फ्री ।

Thanks

Team hallabolexpress
Email:hallabolexpressindia@gmail.com
https://www.hallabolexpress.com/

| We hope this news will entertain you & also this will help to increase your knowledge |

We are always try to provide special and knowledgeable news contain from many different resources and we always mention news source to viewers for crosscheck (Thanks to Google, for this news). Our aim is only to improve your knowledge & happiness. You can also send your feedback on email (Also thanks to official partner Business Khabri).

This story has been sourced from third party syndicated feed, agencies (source already mentions above). Hallabolexpress.com accepts no responsibility or liability for its dependability, trustworthiness, reliability and data of the text. Hallabolexpress management/hallabolexpress.com reserves the sole right to alter delete or remove (without notice) the content in its absolute discretion for any reason whatsoever.

Thanks for loving and support.

 

Related Post

Polular post